Thursday, April 15, 2010

महाकुम्भ 2010 मेला पुलिस की सवेदनशीलता- 1

महाकुम्भ मेला पुलिस की सवेदनशीलत इस साही स्नान में जगह जगह देखने को मिलाती रही <; बात १३ अप्रेल, समय सायं ५.३० बजे, स्थान चंडी पुल के मध्य नीचे रोड से पुल के ऊपर तक पहुचने के लिए बनी संपर्क सीढ़ियों से सम्बंधित है, जिस पार काफी दूर तक बस की रेलिंग लगी थी <; यात्री लालजी वाला से गौरिसंकर द्वीप- दिव्या सेवा मिसन, पायलट बाबा, छत्तीस गढ़ अस्रम से होकर संपर्क सीढ़ियों से चंडी पुल की तरफ बढ़ रहे थे, सीढ़ियों पर दवाव बढ़ रहा था < इस भीर में बूढ़े ब्यक्तियो की संख्या थी उनके सर पर समान भी था <; जिससे उन्हें सीढ़िया चढ़ना तो दूर चलाना मुस्किल हो रहा था<; ऊपर से भीढ़ का दवाव < ऐसे में लगभग ३० फिट उची इन सीढ़ियों को पार कराने के लिए तैनात मात्र ५ से ६ पुलिस कर्मियों को काफी मसक्कत करनी परी<
                 दबाव को देखकर रोगते कपा देने वाले इस दृश्य में पुलिसवालो की सदासयता ने सराहनीय भूमिका निभाई< एक तरफ वे भीर के दबाव को कट्रोल करते दूसरी ओर उन बूढ़े महिला- पुरुष को सामान सहित गोद में उठा- उठा कर पुल के ऊपर पहुचाते < सहारा पाकर ऊपर पहुचने वाले असहायो की जुबानो से जुग-जुग जियो मेरे लाल, बेटा तुन्हारी तरक्की होय, थारो लाडलो सुखी होऊ जैसे शब्द सुनकर कोई भी उत्साहित हुए बिना रह कैसे सकता है <;
                  किसी ने सच ही कहा है की संवेदनाये संवेदनाओ को बढ़ाती है< पुलिस वालो की संवेदनाशीलता उभरने के लिए ऐसे ही निश्छल माँ का हृदय चाहिए< आखिर वे भी तो किसी के लाडले है <

महाकुम्भ 2010 मेला पुलिस की सवेदनशीलता- 1

                 महाकुम्भ मेला पुलिस की सवेदनशीलत इस साही स्नान में जगह जगह देखने को मिलाती रही <; बात १३ अप्रेल, समय सायं ५.३० बजे, स्थान चंडी पुल के मध्य नीचे रोड से पुल के ऊपर तक पहुचने के लिए बनी संपर्क सीढ़ियों से सम्बंधित है, जिस पार काफी दूर तक बस की रेलिंग लगी थी <; यात्री लालजी वाला से गौरिसंकर द्वीप- दिव्या सेवा मिसन, पायलट बाबा, छत्तीस गढ़ अस्रम से होकर संपर्क सीढ़ियों से चंडी पुल की तरफ बढ़ रहे थे, सीढ़ियों पर दवाव बढ़ रहा था < इस भीर में बूढ़े ब्यक्तियो की संख्या थी उनके सर पर समान भी था <; जिससे उन्हें सीढ़िया चढ़ना तो दूर चलाना मुस्किल हो रहा था<; ऊपर से भीढ़ का दवाव < ऐसे में लगभग ३० फिट उची इन सीढ़ियों को पार कराने के लिए तैनात मात्र ५ से ६ पुलिस कर्मियों को काफी मसक्कत करनी परी<

                        दबाव को देखकर रोगते कपा देने वाले इस दृश्य में पुलिसवालो की सदासयता ने सराहनीय भूमिका निभाई< एक तरफ वे भीर के दबाव को कट्रोल करते दूसरी ओर उन बूढ़े महिला- पुरुष को सामान सहित गोद में उठा- उठा कर पुल के ऊपर पहुचाते < सहारा पाकर ऊपर पहुचने वाले असहायो की जुबानो से जुग-जुग जियो मेरे लाल, बेटा तुन्हारी तरक्की होय, थारो लाडलो सुखी होऊ जैसे शब्द सुनकर कोई भी उत्साहित हुए बिना रह कैसे सकता है <;
            किसी ने सच ही कहा है की संवेदनाये संवेदनाओ को बढ़ाती है< पुलिस वालो की संवेदनाशीलता उभरने के लिए ऐसे ही निश्छल माँ का हृदय चाहिए< आखिर वे भी तो किसी के लाडले है <


Saturday, January 23, 2010

कुम्भ के द्वार से 21 वी शदी का प्रवेश

  इस कुम्भ की प्रमुख विशेषताए
           १- १० दसकों की  इस शदी के प्रथम दशक में कुम्भ की शुरुवात.
           २. नाशिक, इलाहबाद, उज्जैन, हरिद्वार  चार  कुम्भ स्थलों में हरिद्वार हिमालय के ऋषियों का द्वार है ,
           ३- प्रथम कुम्भ का प्रभाव पूरी शदी तक रहता है, चूकि हरिद्वार पूर्ण ऋषि चेतना का पर्याय है  अतः अब पूरी शदी तक ऋषियों की परम्पराओ का विस्तार होगा ऐसा मानना चाहिए, हीनता, उदंडता, अत्याचार का दौर समाप्त होगा,
  ४. यहाँ गंगा की गोद, हिमालय की छाया के अतिरिक्त शिव, पारवती, ऋषि तंत्र का विशेष संयोग भी है,
  ५. हरिद्वार देश की अध्यात्मिक राजधानी है, अतः सम्पूर्ण विश्व की प्रकृति का अध्यात्मिक होना सुनिश्चित है,
 ६- शाश्त्र मत है क़ि जब किसी स्थान पर कोई विशेष अध्यात्मिक सुयोग घटित  होना होता  है तो उसके दशक पूर्व से वहा का वातावरण दैवीय होने लगता है, हरिद्वार के सम्बन्ध में यह बात पूरी तरह लागु होती है, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के प्रयोग से उपजी अध्यात्मिक उर्जा शांतिकुंज से और योग की पतंजलि पीठ से आज विश्व ब्यापी होकर दुनिया के लिए जीवनदान बन रही है और विश्व इश अध्यात्मिक नगरी की और खीचा अ रहा है.
                       विश्व में नए संकल्प उठ रहे है,

Wednesday, January 13, 2010

जीवन का अर्थ समझे और यदि जीवन से प्रेम है तो वे बेकार में समय न गवाए

                  जीवन का अर्थ है समय जो जीवन से प्रेम करते है वे बेकार में समय नहीं गवाते , जीवन और गायत्री का विशेष योग है. गायत्री की सुपर शक्ति सविता में समाई है जबकि गायत्री का सार्वभौमिक सार्वजनिक आधार प्राणी मात्र की आत्मा में निहित है. सभी प्राणियों में मनुष्य इस धरना को अधिक अनुभव करता है > अतः सार्वभौमिक जगत में मनुष्य का दायित्व बढ़ जाता है. और  मनुष्य अपने जीवन के एक एक अंश का उपयोग करके ब्रह्मांडीय चेतना के उद्देश्य की पूर्ति कर सकता है> अतः जरुरी हो जाता है की वह जीवन का अर्थ समझे और यदि वह जीवन से प्रेम करते है तो वे बेकार में समय न गवाए >

Saturday, January 9, 2010

गाँधी के हरिजन से पंडित श्री राम शर्मा आचार्य के परिजन तक की यात्रा

परिजन का प्रथम अर्थ है परिस्कृत जन, दुसर परिवारी जन, गाँधी के हरिजन से पंडित श्री राम शर्मा आचार्य के परिजन तक की यात्रा <