Saturday, January 23, 2010

कुम्भ के द्वार से 21 वी शदी का प्रवेश

  इस कुम्भ की प्रमुख विशेषताए
           १- १० दसकों की  इस शदी के प्रथम दशक में कुम्भ की शुरुवात.
           २. नाशिक, इलाहबाद, उज्जैन, हरिद्वार  चार  कुम्भ स्थलों में हरिद्वार हिमालय के ऋषियों का द्वार है ,
           ३- प्रथम कुम्भ का प्रभाव पूरी शदी तक रहता है, चूकि हरिद्वार पूर्ण ऋषि चेतना का पर्याय है  अतः अब पूरी शदी तक ऋषियों की परम्पराओ का विस्तार होगा ऐसा मानना चाहिए, हीनता, उदंडता, अत्याचार का दौर समाप्त होगा,
  ४. यहाँ गंगा की गोद, हिमालय की छाया के अतिरिक्त शिव, पारवती, ऋषि तंत्र का विशेष संयोग भी है,
  ५. हरिद्वार देश की अध्यात्मिक राजधानी है, अतः सम्पूर्ण विश्व की प्रकृति का अध्यात्मिक होना सुनिश्चित है,
 ६- शाश्त्र मत है क़ि जब किसी स्थान पर कोई विशेष अध्यात्मिक सुयोग घटित  होना होता  है तो उसके दशक पूर्व से वहा का वातावरण दैवीय होने लगता है, हरिद्वार के सम्बन्ध में यह बात पूरी तरह लागु होती है, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के प्रयोग से उपजी अध्यात्मिक उर्जा शांतिकुंज से और योग की पतंजलि पीठ से आज विश्व ब्यापी होकर दुनिया के लिए जीवनदान बन रही है और विश्व इश अध्यात्मिक नगरी की और खीचा अ रहा है.
                       विश्व में नए संकल्प उठ रहे है,