इस कुम्भ की प्रमुख विशेषताए
१- १० दसकों की इस शदी के प्रथम दशक में कुम्भ की शुरुवात.
२. नाशिक, इलाहबाद, उज्जैन, हरिद्वार चार कुम्भ स्थलों में हरिद्वार हिमालय के ऋषियों का द्वार है ,
३- प्रथम कुम्भ का प्रभाव पूरी शदी तक रहता है, चूकि हरिद्वार पूर्ण ऋषि चेतना का पर्याय है अतः अब पूरी शदी तक ऋषियों की परम्पराओ का विस्तार होगा ऐसा मानना चाहिए, हीनता, उदंडता, अत्याचार का दौर समाप्त होगा,
४. यहाँ गंगा की गोद, हिमालय की छाया के अतिरिक्त शिव, पारवती, ऋषि तंत्र का विशेष संयोग भी है,
५. हरिद्वार देश की अध्यात्मिक राजधानी है, अतः सम्पूर्ण विश्व की प्रकृति का अध्यात्मिक होना सुनिश्चित है,
६- शाश्त्र मत है क़ि जब किसी स्थान पर कोई विशेष अध्यात्मिक सुयोग घटित होना होता है तो उसके दशक पूर्व से वहा का वातावरण दैवीय होने लगता है, हरिद्वार के सम्बन्ध में यह बात पूरी तरह लागु होती है, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के प्रयोग से उपजी अध्यात्मिक उर्जा शांतिकुंज से और योग की पतंजलि पीठ से आज विश्व ब्यापी होकर दुनिया के लिए जीवनदान बन रही है और विश्व इश अध्यात्मिक नगरी की और खीचा अ रहा है.
विश्व में नए संकल्प उठ रहे है,
Saturday, January 23, 2010
Wednesday, January 13, 2010
जीवन का अर्थ समझे और यदि जीवन से प्रेम है तो वे बेकार में समय न गवाए
जीवन का अर्थ है समय जो जीवन से प्रेम करते है वे बेकार में समय नहीं गवाते , जीवन और गायत्री का विशेष योग है. गायत्री की सुपर शक्ति सविता में समाई है जबकि गायत्री का सार्वभौमिक सार्वजनिक आधार प्राणी मात्र की आत्मा में निहित है. सभी प्राणियों में मनुष्य इस धरना को अधिक अनुभव करता है > अतः सार्वभौमिक जगत में मनुष्य का दायित्व बढ़ जाता है. और मनुष्य अपने जीवन के एक एक अंश का उपयोग करके ब्रह्मांडीय चेतना के उद्देश्य की पूर्ति कर सकता है> अतः जरुरी हो जाता है की वह जीवन का अर्थ समझे और यदि वह जीवन से प्रेम करते है तो वे बेकार में समय न गवाए >
Saturday, January 9, 2010
गाँधी के हरिजन से पंडित श्री राम शर्मा आचार्य के परिजन तक की यात्रा
परिजन का प्रथम अर्थ है परिस्कृत जन, दुसर परिवारी जन, गाँधी के हरिजन से पंडित श्री राम शर्मा आचार्य के परिजन तक की यात्रा <
Friday, February 27, 2009
Thursday, February 26, 2009
Wednesday, February 25, 2009
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